विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस (World Day to Combat Desertification and Drought) हर साल 17 जून को मनाया जाता है | इसकी घोषणा 1994 में हुआ लेकिन इसकी शुरुआत 1995 में हुआ |
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस | 17 जून |
घोषणा | 1994 |
शुरुआत | 17 जून 1995 |
विषय-सूची
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस – World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi

उद्देश्य
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस का उद्देश्य क्षतिग्रस्त भूमि के पुनर्वास के साथ – साथ मिट्टी के मरुस्थलीकरण को रोकथाम के बारे में लोगो को जागरूक करना है |
मरुस्थलीकरण क्या है?
यह शुष्क, अर्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र वातावरण में भूमि का क्षरण है। मानवीय गतिविधियाँ प्राथमिक कारण हैं, इसके बाद जलवायु में उतार-चढ़ाव आते हैं। यह मौजूदा रेगिस्तानों के विकास को नहीं दर्शाता है, बल्कि शुष्क भूमि पारिस्थितिक तंत्र, वनों की कटाई, अतिचारण, खराब सिंचाई विधियों और भूमि उत्पादन पर अन्य कारकों के प्रभाव को दर्शाता है।
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस की थीम
- 2022 – “एक साथ सूखे से ऊपर उठाना”
मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय
- वनीकरण को प्रोत्साहन
- कृषि में रासायिक उर्वरको के स्थान पर जैविक उर्वरकों का प्रयोग ।
- फसल चक्र को प्रभावी रूप से अपनाना।
- सिचाई के नवीन और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना, जैसे बूँद-बूँद सिचाई, स्प्रिंकलर सिचाई आदि।
- मरूस्थलीकरण के बारे में जागरूकता लाना।
- अवैध खनन गतिविधियों पर रोक एवं कॉर्पोरेट कंपनियाँ को कोर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी के तहत वृक्षारोपण का कार्य सौंपा
विश्व के प्रमुख मरुस्थल
• सहारा – उत्तरी अफ्रीका
• गोबी – मंगोलिया, चीन
• कालाहारी – बोत्सवाना
• नामीब – नामीबिया
• तक्लामाकन – चीन
• थार – भारत, पाकिस्तान
• सोनोरन – अमरीका, मक्सिको
• बार्बरटन, सिम्पसन, गिब्सन, ऑस्ट्रेलिया स्टुअर्ट, विक्टोरिया – ऑस्ट्रेलिया