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श्रीधर पाठक का जीवन परिचय |Shridhar Pathak ka Jeevan Parichay

January 17, 2022 by Atul Maurya Leave a Comment

इस आर्टिकल में हम श्रीधर पाठक का जीवन परिचय |Shridhar Pathak ka Jeevan Parichay पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं श्रीधर पाठक का जीवन परिचय | Biography of Shridhar Pathak in Hindi –

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श्रीधर पाठक का जीवन परिचय – (संक्षिप्त परिचय)

नाम पं० प्रतापनारायण मिश्र
जन्म सन् 1859 ई०
जन्म – स्थान जौंधरी , आगरा
पिता पं० लोलाधर
माता कोई साक्ष्य प्रमाण प्राप्त नहीं है।
मृत्यु 13 सितम्बर, 1928 ई०
रचनाएँमनोविनोद, धनविजय, गुणवंत, हेमन्त वनाष्टक, गोखले-गुणाष्टक, दून, गोपिका-गीत आदि

श्रीधर पाठक जी प्राकृतिक सौन्दर्य, स्वदेश-प्रेम तथा समाज-सुधार की भावनाओं के कवि थे। छायावादी कवियों का पूर्व-रूप इनकी रचनाओं में देखा जा सकता है। प्रकृति-वर्णन में इन्होंने एक निश्चित प्रकार की स्वच्छन्द प्रतिभा का परिचय दिया, जिसे रोमांटिक परम्परा के अन्तर्गत रखा जा सकता है।

जीवन परिचय-

श्रीधर पाठक का जन्म सन् 1859 ई० में जिला आगरा के जौंधरी नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता पं० लोलाधर एक शिक्षित तथा सम्पन्न व्यक्ति थे। उनके पितामह पं० धरणीधर शास्त्री संस्कृत के विद्वान तथा व्याकरण के उच्च कोटि के ज्ञाता थे। श्रीधर जी ने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण को तथा घर पर ही संस्कृत, उर्दू फारसी तथा अँग्रेजी भाषाओं का गहन अध्ययन किया।

पढ़ाई समाप्त करने पर उन्होंने कलकत्ता में सैशन कमिश्नर के दफ्तर में कार्य किया। इसके पश्चात उनकी युक्ति नियुक्ति भारत सरकार के केन्द्रीय कार्यालय में डिप्टी सुपरिन्टेंडेंट के पद पर हुई। कुछ समय पश्चात ही इनकी पदोन्नति हो गई। सन् 1914 ई० में उन्होंने सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त किया। ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ ने उन्हें अपने पाँचवें अधिवेशनका सभापति बनाकर सम्मानित किया। 13 सितम्बर, 1928 ई० को उनका स्वर्गवास हो गया।

रचनाएँ —

इनकी समस्त रचनाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है — अनुदित तथा मौलिक।

(1) अनूदित रचनाएँ— अनूदित रचनाओं में गोल्डस्मिथ की तीन पुस्तकों का काव्यानुवाद उल्लेखनीय है —

एकांतवासी योगी (हरमिट), श्रान्त पथिक (ट्रैवलर), ऊजड़ ग्राम (डेजटेंड विलेज)।

कालिदास के ‘ऋतुसंहार’ का अनुवाद ‘ऋतुसंहार’ नाम से किया।

(2) मालिक रचनाएँ– उनकी मौलिक कृतियों में उल्लेखनीय हैं —

  • जगत सच्चाई सार— यह खड़ीबोली में लिखा गया दार्शनिक काव्य-ग्रन्थ है।
  • कश्मीर-सुषमा — इसमें प्रकृति का नूतन रूप में उन्मुक्त चित्रण किया गया है। यह उनकी प्रसिद्ध काव्य-कृति है।
  • भारत-गीत— यह पुस्तक प्रचलित लोक धुनों में गाए जानेवाले गीतों का संग्रह है। इसमें उच्च कोटि की राष्ट्रीय कविताएँ भी संकलित हैं।

इनकी अन्य रचनाएँ इस प्रकार हैं— मनोविनोद, धनविजय, गुणवंत, हेमन्त वनाष्टक, गोखले-गुणाष्टक, दून, गोपिका-गीत, स्वर्गीय वीणा तथा तिलस्माती सुन्दरी ।

Filed Under: Biography, Hindi Tagged With: जीवन परिचय, निबन्ध

About Atul Maurya

मैं लोगो को कुछ सिखा सकू | इसलिए मैं ब्लॉग पर हिंदी में पोस्ट शेयर करता हूँ | एक लाइन में मेरा कहना है कि "आप हमारे ब्लॉग पे आते रहे ताकि जो मैं जानता हूं वह आप को बता सकूं और जो मैं सीखू वह आपको सिखा सकू" || *** धन्यवाद***

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