दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको हास्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित के बारे में पूरी जानकारी बता रहे है | तो चलिए जानते हैं – Hasya Ras in Hindi.
हास रस की परिभाषा
काव्य में किसी की विचित्र वेश – भूषा, आकृति, चेष्टा आदि हँसी उत्पन्न करने कार्यो का वर्णन हास रस कहलाता है | तथा यही हास जब विभाव अनुभाव तथा संचारी भाव से पुष्ट हो जाता है तो उसे हास रस कहा जाता है |
हास रस के उपकरण
- हास रस का स्थायी भाव – हास
- हास रस का आलम्बन विभाव – विकृत वेशभूषा, आकर एवं चेष्टाएँ |
- हास रस का उद्दीपन विभाव – आलम्बन की अनोखी आकृति, बातचीत, चेष्टाएँ आदि|
- हास रस का अनुभाव – आश्रय की मुस्कान, नेत्रों का मिचमिचाना एवं अट्टहास |
- हास रस का संचारी भाव – हर्ष, आलस्य, निद्रा, चपलता, कम्पन, उत्सुकता आदि |
हास्य रस का उदाहरण – hasya ras ki paribhasha
उदाहरण -1
मुरली में मोहन बसे, गाजर में गणेश |
कृष्ण करेला में बसे, रक्षा करे महेश ||
उदाहरण -2
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घण्टा भर आलाप |
घण्टा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे – धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता |
उदाहरण -3
सीस पर गंगा हँसै , भुजनि भुजंगा हँसै,
हास की को दंगा भयो, नंगा के विवाह में|
उदाहरण -4
हँसी – हँसी भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
पाहुनी जे आवै हिमाचल के उछाह में|
उदाहरण -5
सर मूसर नाचत नगन, लाखि हलधर को स्वांग|
हँसि हँसि गोपी फिर हँसे, मनहु पिये सी भाँग ||
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