दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको शान्त रस की परिभाषा उदाहरण सहित के बारे में पूरी जानकारी बता रहे है | तो चलिए जानते हैं – Shant Ras in Hindi.
शान्त रस की परिभाषा
तत्व – ज्ञान की प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर शांत रस की उत्पत्ति होती है जहाँ न दुःख है न सुख है, न सुख, न द्वेष है,न राग और न कोई इच्छा है, ऐसी मन:स्थिति में उत्पन्न रस को मुनियों ने ‘शान्त रस’ कहा है |
शान्त रस के उपकरण
- शान्त रस स्थायी भाव — निर्वेद |
- शान्त रस आलम्बन विभाव — तत्त्व ज्ञान का चिन्तन एवं सांसारिक क्षणभंगुरता |
- शान्त रस उद्दीपन विभाव — शास्त्रार्थ, तीर्थ यात्रा, सत्संग इत्यादि |
- शान्त रस अनुभाव — पूरे शरीर में रोमांच, अश्रु, स्वतन्त्र आदि |
- शान्त रस संचारी भाव — मति, धृति, हर्ष, स्मृति, निर्वेद, विबोध आदि |
शान्त रस का उदहारण — Shant Ras Ki Paribhasha
उदाहरण -1
मन रे तन कागद का पुतला |
लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना ||
उदाहरण -2
लंबा मारग दूरि घर, बिकट पंथ बहुमार |
कहौ संतो क्यूँ पाइए, दुर्लभ हरि दीदार ||
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