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रूपक अलंकार : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

January 24, 2022 by Atul Maurya Leave a Comment

इस आर्टिकल में हम रूपक अलंकार – Roopak Alankar in Hindi पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं रूपक अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण —

विषय-सूची

  • रूपक अलंकार की परिभाषा
  • रूपक अलंकार के लक्षण अथवा पहचान चिन्ह—
  • रूपक अलंकार के उदाहरण—
  • रूपक अलंकार के भेद अथवा प्रकार—

रूपक अलंकार की परिभाषा

जहाँ उपमेय में उपमान का भेदरहित आरोप होता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है। यानी उपमेय और उपमान में कोई अन्तर न दिखाई देता है।

OR

जहाँ उपमेय में उपमान का निषेधरहित आरोप हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

रूपक अलंकार के लक्षण अथवा पहचान चिन्ह—

उपमेय में उपमान का निषेधरहित आरोप ही रूपक अलंकार के लक्षण माने जाते हैं।

रूपक अलंकार के उदाहरण—

जो चिन्ता की पहली रेखा,
अरे विश्व-वन की व्याली।
ज्वालामुखी स्फोट के भीषण,
प्रथम कम्प-सी मतवाली।।

स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में चिन्ता उपमेय में विश्व-वन की व्याली आदि उपमानों का आरोप किया गया है। अत: यहाँ रूपक अलंकार है।

—:अथवा:—

गिरा-अनिल मुख पंकज रोकी।
प्रकट न लाज-निशा अवलोकी।।

स्पष्टीकरण— यहाँ गिरा(वाणी) में भौंरे का, मुख में कमल और लाज में निशा का निषेधरहित आरोप होने से रूपक अलंकार है।

रूपक अलंकार के भेद अथवा प्रकार—

आचार्यों ने रूपक अलंकार के अनगिनत भेद एवं उपभेद किये हैं किन्तु इसके तीन प्रधान भेद निम्न इस प्रकार हैं—

(क). सांगरूपक
(ख). निरंग रूपक
(ग). परम्परिक रूपक

(क). सांगरूपक अंलकार की परिभाषा —

जहाँ अवयवोंरहित उपमान का आरोप होता है वहाँ सांगरूपक अंलकार होता है।

सांगरूपक अंलकार के उदाहरण—

रनित भृंग-घंटावली, झरति दान मधु-नीर।
मंद-मंद आवत चल्यौ, कुंजर कुंज-समीर।।

स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में समीर में हाथी का, भृंग में घण्टे का और मकरंद में दान (मद-जल) का आरोप किया गया है। इस प्रकार वायु के अवयवों पर हाथी का आरोप होने के कारण यहाँ सांगरूपक अंलकार है।

(ख). निरंग रूपक अलंकार की परिभाषा—

जहाँ अवयवों से रहित केवल उपमेय का उपमान पर अभेद आरोप होता है। वहाँ निरंग रूपक अलंकार होता है।

निरंग रूपक अलंकार के उदाहरण—

इस हृदय-कमल का घिरना, अलि-अलको की उलझन में
आँसू करन्द का गिरना, मिलना नि:श्वास पवन में ।

स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में हृदय (उपमेय) पर कमल (उपमान) का; अलकों (उपमेय) पर अलि (उपमान), आँसू (उपमेय) पर करन्द पवन (उपमान) का आरोप किया गया है; अत: यहाँ निरंग रूपक अलंकार है।

(ग). परम्परिक रूपक अलंकार की परिभाषा—

जहाँ उपमेय पर एक आरोप दूसरे का कारण होता है; वहाँ परम्परिक रूपक अलंकार होता है।

परम्परिक रूपक अलंकार के उदाहरण—

बाड़व-ज्वाला सोती थी, इस प्रणय सिन्ध के तल में।
प्यासी मछली सी आँखें, थी विकल रूप के जल में।।

स्पष्टीकरण — उपर्युक्त उदाहरण में आँखों (उपमेय) पर मछली (उपमान) का आरोप, रूप (उपमेय) पर जल (उपमान) का आरोप के कारण किया गया है। अत: यहाँ परम्परिक रूपक अलंकार है।

स्पष्टीकरण— यहाँ गिरा(वाणी) में भौंरे का, मुख में कमल और लाज में निशा का निषेधरहित आरोप होने से रूपक अलंकार है।

रूपक अलंकार के भेद अथवा प्रकार—

आचार्यों ने रूपक अलंकार के अनगिनत भेद एवं उपभेद किये हैं किन्तु इसके तीन प्रधान भेद निम्न इस प्रकार हैं—

(क). सांगरूपक
(ख). निरंग रूपक
(ग). परम्परिक रूपक

(क). सांगरूपक अंलकार की परिभाषा —

जहाँ अवयवोंरहित उपमान का आरोप होता है वहाँ सांगरूपक अंलकार होता है।

सांगरूपक अंलकार के उदाहरण—

रनित भृंग-घंटावली, झरति दान मधु-नीर।
मंद-मंद आवत चल्यौ, कुंजर कुंज-समीर।।

स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में समीर में हाथी का, भृंग में घण्टे का और मकरंद में दान (मद-जल) का आरोप किया गया है। इस प्रकार वायु के अवयवों पर हाथी का आरोप होने के कारण यहाँ सांगरूपक अंलकार है।

(ख). निरंग रूपक अलंकार की परिभाषा—

जहाँ अवयवों से रहित केवल उपमेय का उपमान पर अभेद आरोप होता है। वहाँ निरंग रूपक अलंकार होता है।

निरंग रूपक अलंकार के उदाहरण—

इस हृदय-कमल का घिरना, अलि-अलको की उलझन में
आँसू करन्द का गिरना, मिलना नि:श्वास पवन में ।

स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में हृदय (उपमेय) पर कमल (उपमान) का; अलकों (उपमेय) पर अलि (उपमान), आँसू (उपमेय) पर करन्द पवन (उपमान) का आरोप किया गया है; अत: यहाँ निरंग रूपक अलंकार है।

(ग). परम्परिक रूपक अलंकार की परिभाषा—

जहाँ उपमेय पर एक आरोप दूसरे का कारण होता है; वहाँ परम्परिक रूपक अलंकार होता है।

परम्परिक रूपक अलंकार के उदाहरण—

बाड़व-ज्वाला सोती थी, इस प्रणय सिन्ध के तल में।
प्यासी मछली सी आँखें, थी विकल रूप के जल में।।

स्पष्टीकरण — उपर्युक्त उदाहरण में आँखों (उपमेय) पर मछली (उपमान) का आरोप, रूप (उपमेय) पर जल (उपमान) का आरोप के कारण किया गया है। अत: यहाँ परम्परिक रूपक अलंकार है।

इसे भी पढ़ें –

  • अनुप्रास अलंकार – परिभाषा, भेद, लक्षण, चिह्न एवं उदाहरण
  • यमक अलंकार – परिभाषा, अर्थ, लक्षण एवं उदाहरण
  • सन्देह अलंकार : परिभाषा एवं उदाहरण

Filed Under: hindi grammar Tagged With: अलंकार

About Atul Maurya

मैं लोगो को कुछ सिखा सकू | इसलिए मैं ब्लॉग पर हिंदी में पोस्ट शेयर करता हूँ | एक लाइन में मेरा कहना है कि "आप हमारे ब्लॉग पे आते रहे ताकि जो मैं जानता हूं वह आप को बता सकूं और जो मैं सीखू वह आपको सिखा सकू" || *** धन्यवाद***

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