• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
mauryajihelp logo

Maurya Ji Help Blog पे सारी जानकारी हिंदी में है !

Maurya Ji Help Blog

  • Blog
  • जीवन परिचय
  • कम्प्यूटर
    • MS Office
    • LibreOffice
  • हिन्दी व्याकरण
  • Online Test In Hindi
    • Online Test
    • Coming Soon

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय – Biography of Munshi Premchand in Hindi

December 23, 2021 by Atul Maurya Leave a Comment

मुंशी प्रेमचन्द – उपन्यास – सम्राट प्रेमचंद के नाम से परिचित है | जिस प्रकार कविता के क्षेत्र में तुलसीदास ने जनमानस को आकर्षित किया है, उसी प्रकार उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में प्रेमचंद जी ने सामान्य पाठक तक को मोहित किया है | मुंशी प्रेमचन्द को ‘उपन्यास – सम्राट‘ की उपाधि प्राप्त है | किन्तु वे जितने बड़े उपन्यासकार थे उतने ही बड़े कहानीकार भी थे |

Biography of Munshi Premchand in Hindi

विषय-सूची

  • मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय – Biography of Munshi Premchand in Hindi
  • मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय
  • कृतियाँ
  • मुंशी प्रेमचन्द का उपन्यास
  • मुंशी प्रेमचन्द का कहानी – संग्रह
  • मुंशी प्रेमचन्द का नाटक
  • मुंशी प्रेमचन्द का जीवन – चरित
  • मुंशी प्रेमचन्द का निबन्ध – संग्रह
  • मुंशी प्रेमचन्द का सम्पादित
  • मुंशी प्रेमचन्द का अनूदित
  • प्रेमचन्द का साहित्यिक परिचय
  • भाषा
  • शैली
  • हिंदी – साहित्य में स्थान

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय – Biography of Munshi Premchand in Hindi

नाम मुंशी प्रेमचन्द
बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव
जन्म 13 जुलाई 1880 ई०
जन्म स्थानलमही (वाराणसी), उत्तर प्रदेश
पिताअजायबराय
माताआनन्दी देवी
पत्नीशिवरानी देवी
मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 ई०
उम्र56 वर्ष
मृत्यु स्थानवाराणसी, उत्तरप्रदेश
अवधि/कालआधुनिक काल
विधाकहानी और उपन्यास
व्यवसायअध्यापक, लेखक, पत्रकार
भाषाहिंदी, उर्दू, संस्कृत
रचनाएँकर्मभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रेमाश्रम, प्रतिज्ञा, वरदान, सेवासदन, गबन, रंगभूमि, गोंदान आदि|

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय

जीवन परिचय – प्रेमचन्द जी का जन्म सन् 1880 ई० में वाराणसी जिले के अन्तर्गत लमही नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था यह गाँव वाराणसी से चार मील उत्तर की ओर है | उनके पिता का नाम अजायबराय और माता कानाम आनन्दी देवी था | प्रेमचन्द जी की वाल्यावस्थाअभावो में व्यतीत हुईं | उन्होंने बड़े परिश्रम और कष्ट के साथ एन्ट्रेंस की परीक्षा उत्तीर्ण की | एन्ट्रेंस की परीक्षा उत्तीर्ण करके उन्होंने इंटरमीडिएट का अध्ययन आरम्भ किया किन्तु परीक्षा में असफल हो जाने के कारण पढाई छोड़ दी | प्रेमचन्द जी का विवाह विद्यार्थी जीवन में ही हो चुका था, परन्तु वह विवाह उनके लिए अनुकूल नहीं था इसलिए शिवरानी देवी के साथ दूसरा विवाह किया |

जीवन के कार्य – क्षेत्र में प्रवेश करने पर प्रेमचन्द जी अध्यापक नियुक्त हुए | इसके पश्चात् वह स्कूलों के सब – डिप्टी – इंस्पेक्टर हो गए | स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण उन्हें यह पद त्यागकर पुनः अध्यापकी करनी पड़ी | अध्यापन – कार्य करते हुए उन्होंने एफ़० ए० और बी०ए० की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की | असहयोग आन्दोलन होने पर उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया | इसके बाद कुछ दिनों तक उनका जीवन बड़े कष्ट के साथ व्यातीत हुआ | सन् 1931 ई० में वे पुनः कानपुर के मारवाड़ी विद्यालय में अध्यापक नियुक्त हुए और कुछ ही दिनों बाद वे प्रधान अध्यापक भी बन गए , पर विद्यालय के प्रबन्धको से मतभेद होने के कारण वे अधिक दिनों तक इस पद पर न रह सके और त्यागपत्र देकर अलग हो गए |

इन्हें अपनी माधुरी, हंस, जागरण जैसी पत्रिका के प्रकाशन से उन्हें बहुत आर्थिक क्षति उठानी पड़ी, इसलिए उन्होंने बम्बई में आठ हजार रूपए वार्षिक पर एक फिल्म कंपनी में नौकरी कर ली | कुछ दिनों तक बम्बई में रहने के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और वे काशी आकर अपने गाँव में रहने लगे | सन् 1936 ई० में लम्बी बीमारी के बाद उनका देहान्त हो गया |

कृतियाँ

प्रेमचंद जी उत्कृष्ट उपन्यासकार थे | उनके लेखन का मुख्य क्षेत्र कहानी और उपन्यास था | हिंदी साहित्य संसार के वे ऐसे सर्वप्रथम उपन्यासकार है, जिन्होंने कहानियों और उपन्यासों में मानव जीवन का चित्रण किया | प्रेमचन्द ने कहानी, जीवन-चरित, नाटक और निबन्ध के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का अभूतपूर्व परिचय दिया है | हिन्दी में उन्होंने जो कृतियों लिखीं वे इस प्रकार –

मुंशी प्रेमचन्द का उपन्यास

  1. कर्मभूमि
  2. कायाकल्प
  3. निर्मला
  4. प्रेमाश्रम
  5. प्रतिज्ञा
  6. वरदान
  7. सेवासदन
  8. गबन
  9. रंगभूमि
  10. गोंदान

मुंशी प्रेमचन्द का कहानी – संग्रह

  1. नवनिधि
  2. ग्राम्यजीवन की कहानियाँ
  3. प्रेरणा
  4. कफन
  5. कुत्ते की कहानी
  6. प्रेम-प्रसून
  7. प्रेमपचीसी
  8. प्रेम-चतुर्थी
  9. मनमोदक
  10. मानसरोवर (आठ भाग)
  11. समर-यात्रा
  12. सप्त-सरोज
  13. अग्नि-समाधि
  14. प्रेम-गंगा
  15. सप्त-सुमन

मुंशी प्रेमचन्द का नाटक

  1. प्रेम की वेदी
  2. कर्बला
  3. रूठी रानी
  4. संग्राम

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन – चरित

  1. कलम
  2. दुर्गादास
  3. तलवार और त्याग
  4. महात्मा शेखसादी
  5. राम चर्चा

मुंशी प्रेमचन्द का निबन्ध – संग्रह

  1. कुछ विचार

मुंशी प्रेमचन्द का सम्पादित

  1. गल्प-रत्न
  2. गल्प-समुच्चय

मुंशी प्रेमचन्द का अनूदित

  1. अहंकार
  2. आजाद-कथा
  3. सुखदास
  4. चाँदी की डिबिया
  5. टाॅलस्टाय की कहानियाँ
  6. सृष्टि का आरम्भ

प्रेमचन्द का साहित्यिक परिचय

प्रेमचन्द जी ने साहित्यिक जीवन में प्रवेश किया | साहित्यिक जीवन में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम वे मर्यादा के सम्पादक हुए | डेढ़ वर्ष के बाद सम्पादन कार्य छोड़कर काशी विद्यापीठ में चले गए और प्रधान अध्यापक नियुक्त हुए | इस पद पर भी वे अधिक दिनों तक न रह सके | कुछ दिनों के बाद उन्होंने माधुरी पत्रिका का संपादन अपने हाथो में ले लिया | माधुरी पत्रिका का सम्पादन करते हुए उन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन में भी भाग लिया | इसके बाद उन्होंने काशी में अपना प्रेस खोला और हंस तथा जागरण नामक पत्र निकालकर उनका सम्पादन करने लगे |

भाषा

मुंशी प्रेमचन्द की भाषा सजीव, सहज, व्यावहारिक, स्वाभाविक एवं प्रभावशाली है | उर्दू से हिंदी में आने के कारण उनकी भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता मिलती है |

शैली

प्रेमचन्द जी की रचनाओं में हम चार प्रकार की शैलियाँ पाते है – विचारात्मक, भावात्मक, परिचयात्मक और आलोचनात्मक | उनके उपन्यासों और कहानियों में प्रथम तीन शैलियाँ का विकास हुआ है | आलोचनात्मक शैली उनके निबन्धओ में मिलती है |प्रेमचन्द जी की सभी शैलियों पर उनके व्यक्तित्व की छाप है | उन्होंने अपनी सभी शैलियों को व्यावहारिकता, सरलता और सजीवता के साँचे में ढाला है |

हिंदी – साहित्य में स्थान

साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद का योगदान अतुलनीय है | उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगो को साहित्य से जोड़ने का काम किया | उन्होंने हिंदी कथा साहित्य को एक नया मोड़ दिया | आदमी को उन्होंने अपनी रचनाओं का विषय बनाया | उनकी रचनाओं में वे नायक हुए और जिन्हें भारतीय समाज अछूत और घृणित समझता था उन्होंने अपनी प्रगतिशील विचारों को दृढ़ता से तर्क देते हुए समाज के सामने प्रस्तुत किया |

उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए बंगाल के उपन्यासकार शरतचंद्र चटोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था | रंगभूमि नामक उपन्यास के लिए उन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषक से सम्मानित किया गया तथा उनके पुत्र अमृतराय ने उन्हें कलम का सिपाही नाम दिया |

  • मीराबाई का जीवन परिचय – Biography of Mirabai in Hindi
  • श्रीमती महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mrs. Mahadevi Verma Biography in Hindi

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय / Biography of Munshi Premchand in Hindi – अगर आपको इस पोस्ट पसंद आई हो तो आप कृपया करके इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप नीचे दिए गए Comment Box में जरुर लिखे ।

Filed Under: Biography, Hindi Tagged With: Biography of Munshi Premchand in Hindi, उपसर्ग, जीवन परिचय, मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय

About Atul Maurya

मैं लोगो को कुछ सिखा सकू | इसलिए मैं ब्लॉग पर हिंदी में पोस्ट शेयर करता हूँ | एक लाइन में मेरा कहना है कि "आप हमारे ब्लॉग पे आते रहे ताकि जो मैं जानता हूं वह आप को बता सकूं और जो मैं सीखू वह आपको सिखा सकू" || *** धन्यवाद***

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

हमारे एप्प को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Copyright © 2022 - All Rights Reserved.·

  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Sitemap
  • Disclaimer