• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
mauryajihelp logo

Maurya Ji Help Blog पे सारी जानकारी हिंदी में है !

Maurya Ji Help Blog

  • Blog
  • जीवन परिचय
  • कम्प्यूटर
    • MS Office
    • LibreOffice
  • हिन्दी व्याकरण
  • Online Test In Hindi
    • Online Test
    • Coming Soon

श्रीमती महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mrs. Mahadevi Verma Biography in Hindi

August 29, 2020 by Atul Maurya 6 Comments

श्रीमती महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक हैं। ये छायावादी काव्य के चार प्रमुख आधार स्तम्भों में से एक के रूप में जानी जाती हैं।

महादेवी वर्मा जी को प्रयाग महिला विद्यापीठ की ‘कुलपति’ बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। इन्हें अपनी रचनाओं में दर्द व पीड़ा की अभिव्यक्ति के कारण ‘आधुनिक मीरा’ और ‘पीड़ा की गायिका’ भी कहा जाता है।

महादेवी वर्मा

छायावादी काव्य के पल्लवन एवं विकास में इनका अविस्मरणीय योगदान रहा। कवि ‘निराला जी’ ने उन्हें ‘हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती’ की उपमा से भी सम्मानित किया है।

श्रीमती महादेवी वर्मा जी हिन्दी साहित्य में वेदना की कवयित्री के नाम से जानी जाती हैं एवं आधुनिक हिन्दी साहित्य में रहस्यवाद की प्रवर्तक भी मानी जाती हैं।

विषय-सूची

  • श्रीमती महादेवी वर्मा का इतिहास व जीवन परिचय
  • प्रस्तावना:-
  • जन्म-स्थान (birth place):-
  • माता-पिता (mother-father):-
  • भाई-बहन (brother-sister):-
  • प्रिय सखी (Dear friend):-
  • विवाह (marriage):-
  • शिक्षा (education):-
  • श्रीमती महादेवी वर्मा जी का नाम ‘महादेवी’ क्यों पड़ा ?
  • मृत्यु-स्थान (Place of death):-
  • श्रीमती महादेवी वर्मा जी द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्यः-
  • आधुनिक युग की मीरा के रूप में श्रीमती महादेवी जी का परिचयः-
  • पुरस्कार एवं सम्मान (Awards and Honors):-
  • श्रीमती महादेवी वर्मा जी की साहित्यिक विशेषताएः-
  • भाषा (Language):-
  • शैली (Style):-
  • प्रमुख कृतिया (Chief Creations):-
  • साहित्य में स्थान (Place in literature):-
    • FAQs – श्रीमती महादेवी वर्मा
    • Q 1. महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियां कौन कौन सी है?
    • Q 2. महादेवी वर्मा का जन्म कहां हुआ था?
    • Q 3. महादेवी वर्मा की भाषा शैली?
    • Q 4. Mahadevi Verma age?
    • Q 5. महादेवी वर्मा के पति का क्या नाम है?
    • Q 6. महादेवी का जन्म कब हुआ था?
    • Q 7. महादेवी वर्मा की मृत्यु कहाँ हुई?
    • Q 8. महादेवी वर्मा का निधन कब हुआ?

श्रीमती महादेवी वर्मा का इतिहास व जीवन परिचय

नाममहादेवी वर्मा
जन्म24 मार्च सन् 1907 ई०
जन्म – स्थानफर्रुख़ाबाद , उत्तर प्रदेश
मृत्यु11 सितम्बर सन् 1987 ई०
मृत्यु स्थानइलाहाबाद , उत्तर प्रदेश
पति का नामडॉ० स्वरूप नारायण वर्मा
भाई-बहनश्यामा देवी, जगमोहन वर्मा एवं महमोहन वर्मा
पिता का नामश्री गोविन्द सहाय वर्मा
माता का नामश्रीमती हेमरानी देवी
प्रिय सखीश्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रस्तावना:-

श्रीमती महादेवी वर्मा जी आधुनिक हिन्दी साहित्य के निर्माताओं में महत्वपूर्ण स्थान की अधिकारिणी हैं। शिक्षा एवं साहित्य के प्रति प्रेम उन्हें विरासस में मिला था। अपनी माता से उन्होंने उनके स्वभाव की मृदुलता, उदारता, प्राणिमात्र के प्रति प्रेम एवं ईश्वर के प्रति अनन्य आस्था रखना सीखा था।

महादेवी वर्मा जी बड़ी कुशाग्रबुद्धि की बालिका थीं और बचपन से ही माँ से रामायण-महाभारत की कथाएँ सुनते रहने के कारण इनके मन में साहित्य के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो गया था।

फलत: मौलिक काव्य की रचना इन्होंने बहुत छोटी आयु से आरम्भ कर दी थी। नौ वर्ष की छोटी उम्र में ही इनका विवाह हो गया था; किन्तु इनके विवाह के कुछ दिनों पश्चात् ही इनकी माता का स्वर्गवास हो गया। इनके पति डॉक्टर थे, परन्तु दाम्पत्य जीवन में इनकी कोई रुचि नहीं थी।

महादेवी जी के ससुर स्त्री शिक्षा के विरोधी थे। इस कारण विवाह होने से इनका अध्ययन क्रम टूट गया; किन्तु महादेवी का लगाव बचपन से ही सांसारिकता में नहीं था।

अत: वे अपने पिता के साथ रहने लगी। इनके जीवन पर महात्मा-गाँधी का और कला-साहित्य साधना पर कवींद्र रवीन्द्र का प्रभाव पड़ा। इन्होंने नारी स्वातन्त्र्य के लिए संघर्ष किया।

और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए नारियों का शिक्षित होना आवश्यक बताया। श्रीमती महादेवी वर्मा जी हिन्दी-साहित्य में वेदना और करुणा की कवयित्री के रूप में भी विख्यात् हैं।

जन्म-स्थान (birth place):-

‘आधुनिक युग की मीरा’ के नाम से विख्यात् श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म 24 मार्च सन् 1907 ई० में उत्तर प्रदेश के प्रशिद्ध नगर फर्रुख़ाबाद में होलिका-दहन के पुण्य पर्व के दिन एक सम्भ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था।

माता-पिता (mother-father):-

श्रीमती महादेवी वर्मा जी के पिताजी का नाम श्री गोविन्द सहाय वर्मा था, जो इन्दौर के एक कॉलेज में अध्यापक थे और माता जी का नाम श्रीमती हेमारानी देवी था, जो साधारण कवयित्री होते हुए भी धर्मपरायण, कर्मनिष्ठ एवं भावुक महिला थीं।

भाई-बहन (brother-sister):-

श्रीमती महादेवी वर्मा की एक छोटी बहन एवं दो छोटे भाई थे, जिनके नाम क्रमश: श्यामा देवी, जगमोहन वर्मा एवं महमोहन वर्मा था।

प्रिय सखी (Dear friend):-

महादेवी वर्मा की प्रिय सखी श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान थीं, जो इनसे उम्र में कुछ ही बड़ी थीं। बचपन में ही इन्होंने ङीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रेरणा पाकर लेखन कार्य आरम्भ किया और अपने इस कार्य को मृत्युपर्यन्त अनवरत् रूप से जारी रखा।

विवाह (marriage):-

उन दिनों की प्रथा के अनुसार इनका विवाह सन् 1916 ई० में डॉ० स्वरूप नारायण वर्मा के साथ मात्र 9 वर्ष की अल्पायु में कर दिया गया। इनके पति डॉक्टर थे। दाम्पत्य जीवन में इनकी कोई रुचि नहीं थी।

शिक्षा (education):-

श्रीमती महादेवी वर्मा जी की प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में सम्पन्न हुई। महीयसी महादेवी वर्मा की शिक्षा का प्रारम्भ सन् 1912 ई० में इन्दौर के मिशन स्कूल से हुआ। वहाँ पर ही विभिन्न विषय जैसे— संस्कृत, अंग्रेजी, चित्रकला की शिक्षा योग्य शिक्षकों के द्वारा दी जाती थी।

अल्पायु में विवाह हो जाने के कारण तथा ससुर के महिला-शिक्षा विरोधी होने के कारण उनकी आगे की शिक्षा में व्यवधान आ गया था,

किन्तु ससुर के निधनोपरान्त उन्होंने अपनी लगन एवं अथक प्रयास से अपनी शिक्षा के टूटे क्रम को जोड़ते हुए सन् 1920 ई० में मिडिल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।

तथा बाद में बी. ए. की परीक्षाएं प्रयाग विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। सन् 1932 ई. में प्रयाग विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा एवं साहित्य में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की।

श्रीमती महादेवी वर्मा जी का नाम ‘महादेवी’ क्यों पड़ा ?

वर्मा परिवार में पिछली सात पीढ़ियों से किसी पुत्री का जन्म नहीं हुआ था। महादेवी वर्मा जी अपने पिता श्री गोविन्दसहाय वर्मा और माता हेमारानी की प्रथम सन्तान थीं। काफी मान-मनौती और इन्तजार के पश्चात् वर्मा-दम्पत्ति को कन्या-रत्न की प्राप्ति हुई थी।

अतः पुत्री जन्म से इनके बाबा बाबू बाँके विहारी जी प्रसन्नता से झूम उठे और इन्हें घर की देवी महादेवी कहा। इनकेबाबा ने उनके नाम को अपने कुल देवी दुर्गा का विशेष अनुग्रह समझा और आदर प्रदर्शित करने के लिए नवजात कन्या का नाम महादेवी रख दिया। इस प्रकार इनका नाम महादेवी पड़ा।

मृत्यु-स्थान (Place of death):-

जीवन के अन्तिम समय तक साहित्य-साधना में लीन रहते हुए 80 वर्ष की अवस्था में 11 सितम्बर सन् 1987 ई. को प्रयागराज में वेदना की महान कवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा जी ने अपनी आँखे सदा-सदा के लिए बंद कर ली।

श्रीमती महादेवी वर्मा जी द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्यः-

श्रीमती महादेवी वर्मा जी ने अपने जीवनकाल में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किया। महीयसी महादेवी वर्मा एक कुशल अध्यापिका थी। इन्हीं के प्रयत्नों से सन् 1935 ई. में इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना हुई।

इस संस्था की ये प्रधानाचार्या भी नियुक्त हुईं और बहुत समय तक इस पद पर कार्य करती रही। तथा ये प्रयाग महिला विद्यापीठ की उपकुलपति पद पर भी आसीन रही। साहित्यकार संसद की स्थापना की और पं. इलाचन्द्र जोशी के सहयोग से साहित्यकार का पद मंभाला।

यह इस संस्था का प्रमुख पद था। महादेवी वर्मा जी ने लेखन के साथ-साथ अनेक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी किया। सन् 1932 ई. में उन्होंने महिलाओं की पत्रिका चाँद के सम्पादन का कार्यभार संभाला।

श्रीमती महादेवी वर्मा जी कुछ वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधानसभा की मनोनीत सदस्य भी रहीं। श्रीमती महादेवी वर्मा जी आधुनिक हिन्दी साहित्य में रहस्यवाद की प्रवर्तक भी मानी जाती हैं।

आधुनिक युग की मीरा के रूप में श्रीमती महादेवी जी का परिचयः-

मीरा की भाँति महादेवी जी का प्रियतम संसारी नहीं है। जिस प्रकार मीरा अपने प्रियतम गिरिधर गोपाल के विरह में तड़पती हैं उसी प्रकार महादेवी भी अपने अज्ञात प्रियतम के विरह में पीड़ा का अनुभव करती रहती हैं । दोनों ही प्रेम दीवानी हैं।

इसी कारण महादेवी वर्मा को आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है। विरह-वेदना और वियोग की पीड़ा का अनुभव महादेवी और मीरा दोनं ने ही समान रूप से किया है। दोनों ही प्रेम की दीवानी और पीड़ा की पुजारिन हैं।

महादेवी जी के काव्य में मीरा की विरह-व्याकुलता, कसक और वेदना का अनुभव करके ही विद्वानों ने श्रीमती महादेवी वर्मा जी को आधुनिक युग की मीरा की संज्ञा दी थी। श्रीमती महादेवी वर्मा जी को अपनी रचनाओं में दर्द व पीड़ा की अभिविक्ति के कारण पीड़ा की गायिका भी कहा जाता है।

पुरस्कार एवं सम्मान (Awards and Honors):-

श्रीमती महादेवी वर्मा जी के लेखन की एक सुदीर्घ अवधि है। अपने अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किये हैं । उनमें से कुछ इस प्रकार हैं—

  1. सेक्सरिया पुरस्कार(1934ई.) :- “नीरजा” पर
  2. द्विवेदी पदक (1941 ई.) :- ‘स्मृति की रेखाएं’ पर
  3. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का मंगलाप्रसाद पुरस्कार (1943 ई. में )
  4. भारत-भारती पुरस्कार (1943 ई. में )
  5. पद्म भूषण (1956 ई. में ) – साहित्य सेवा के लिए
  6. साहित्य अकादमी पुरस्कार (1979 ई. में)
  7. ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982 ई. में ) यामा व दीपशिखा रचना के लिए
  8. पद्म विभूषण पुरस्कार (1988 ई. में )
  9. विक्रम, कुमाऊँ, दिल्ली व बनारस विश्वविद्यालयों द्वारा डी. लिट. की मानद् उपाधि।

वेदना के स्वरों की अमर गायिका श्रीमती महादेवी वर्मा जी के साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा मंगलाप्रसाद पारितोषिक उपाधि, नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा विद्यावाचस्पति तथा भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया। तथा इनकी काव्यात्मक प्रतिभा के लिए इन्हें सेक्सरिया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

इसके पश्चात् इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारत-भारती पुरस्कार प्रदान किया गया। मरणोपरान्त इन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण पुरस्कार से भी अलंकृत किया गया।

श्रीमती महादेवी वर्मा जी की साहित्यिक विशेषताएः-

महीयसी महादेवी वर्मा जी मूलतः एक कवयित्री तथा छायावाद के चार आधार स्तम्भों में से एक के रूप में प्रसिद्ध थी। करुणा एवं भावुकता उनके व्यक्तित्वके अभिन्न अंग हैं। साहित्य को इनकी देन मुख्यतया एक कवि के रूप में हैं,

किन्तु इन्होंने प्रौढ़ गद्य-लेखन द्वारा हिन्दी भाषा को सजाने-सँवारने तथा अर्थ-गाम्भीर्य प्रदान करने में जो योगदान किया है, वह भी प्रशंसनीय है। इनकी रचनाएँ सर्वप्रथम चाँद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। तत्पश्चात् इन्हें एक प्रसिद्ध कवयित्री के रूप में प्रसिद्धी प्राप्त हुई।

श्रीमती महादेवी जी का काव्य क्षेत्र सम्भवतः छायावादी कवियों में सर्वाधिक सीमित तो है लेकिन सबसे अधिक गहराई भी उसी में है। प्राणी-मानस को भाव-विभोर करने वाली जिन अनुभूतियों को कवयित्री ने गीतों में ढाला है, वे अभूतपूर्व हैं।

हृदय को मथ देनेवाली जितनी हृदय विदारक पीड़ाएं कवयित्री द्वारा चित्रित की गयी हैं, वे अद्वितीय ही मानी जायेंगी। सूक्ष्म संवेदनशीलता, परिष्कृत सौन्दर्य रुचि, समृद्ध कल्पना शक्ति और अभूतपूर्व चित्रात्मकता के माध्यम से प्रणयी मन की जो स्वर-लहरियाँ गीतों में व्यक्त हुई हैं, आधुनिक क्या सम्पूर्ण हिन्दी काव्य में उनकी तुलना शायद ही किसी से की जा सके।

श्रीमती महादेवी जी अपनी अन्तर्मुखी मनोवृत्ति एवं नारी-सुलभ गहरी भावुकता के कारण उनके द्वारा रचित काव्य में रहस्यवाद वेदना एवं सूक्ष्म अमुभूतियों के कोमल तथा मर्मस्पर्शी भाव मुखरित हुए हैं।

शिक्षित और सुसंस्कृत पाठक के मर्म को छू लेने की जितनी सामर्थ्य महादेवी वर्मा जी गीतों में है, उतनी किसी छायावादी कवि के गीतों में शायद ही होगी। इनकी रचनाओं में जो वास्तविकता झलकती है वह अन्य किसी लेखक की रचना में कम ही देखने को मिलती है । इनकी रचनाएँ पढ़ने वाले को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।

भाषा (Language):-

श्रीमती महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध कवयित्री और गद्यकत्री दोनों रूपों में जानी जाती हैं। इन्होंने अपनी रचनाओं में अनेक भाषाओं का प्रयोग किया। उन भाषाओं में से साहित्यिक खड़ीबोली इनकी प्रमुख भाषा है। अभिव्यक्ति की जो सामर्थ्य, भाव व्यंजना की मार्मिकता, महादेवी की भाषा में है वह अन्यत्र दर्लभ है।

तत्सम प्रधान संस्कृतिनिष्ठ भाषा होते हुए भी कहीं क्लिष्टता नहीं आयी है। भाषा प्रभाव एवं लय से पूर्ण है। श्रीमती महादेवी की भाषा में वेदना और मृदुलता का अद्भुत संयोग है। तथा रेखाचित्र और संस्मरण लेखों में इनकी भाषा लाक्षणिक और चित्रात्मक है।

शैली (Style):-

शैली-शिल्प की दृष्टि से श्रीमती महादेवी जी का काव्य अप्रतिम है। उनमें स्थान-स्थान पर कथन का अनूठा ढंग मिलता है। अनुभूति और शिल्प का ऐसा सुन्दर समन्यव अन्यत्र शायद ही मिलता है।

इनकी रचनाओं की मुख्य शैली छायावादी मुक्तत शैली है। तथा इनकी रचनाओं की शैली प्रतीकात्मक, चित्रात्मक, अलंकारिक, रहस्यात्मक अभिव्यक्ति एवं भाव तरलता से युक्त है।

प्रमुख कृतिया (Chief Creations):-

लेखिका महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य में सवयित्री के रूप में अधिक प्रसिद्धि हैं, फिर भी उन्होंने अपनी लेखनी से रेखाचित्र एवं संस्मरण साहित्य के रूप में हिन्दी गद्य साहित्य की भी वृद्धि श्री है।

इसलिए श्रीमती महादेवी वर्मा जी उच्चकोटि सी गद्य लेखिका भी है । श्रीमती महादेवी के निबन्ध मुख्यतः विचार प्रधान एवं विवेचानत्मक है। उनकी लेखनी से रचित उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं—

  1. काव्य संग्रहः- ‘निहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सान्ध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘सप्तपर्णी’ व ‘हिमालय’ आदि इनके काव्य संग्रह हैं।
  2. गद्य साहित्यः- ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘क्षणदा’, ‘मेरा परिवार’ और ‘परिक्रमा’ आदि इनकी गद्य-साहित्य रचनाएँ हैं।
  3. निबंधः- ‘श्रृखला की कड़ियाँ’, ‘विवेचनात्मक गद्य’, ‘साहित्यकार की आस्था’ तथा ‘अन्य निबंध’ आदि है।
  4. संपादनः- चाँद पत्रिका।

महादेवी का गद्य-साहित्य कम महिमामय नहीं है। उनके चिन्तन के क्षण, स्मरण की घड़ियाँ तथा अनुभूति और कल्पना के पल गद्य-साहित्य में भी साकार हुए हैं। उनकी आस्था, उनका तोष, उनकी उग्रता तथा संयम, शालीनता और दृष्टि की निर्मलता में मिलकर उनके विचारात्मक गद्य को हिन्दी का गौरव बना दिया।

साहित्य में स्थान (Place in literature):-

हिन्दी के गद्य लेखकों में महीयसी महादेवी जी का मूर्धन्य स्थान है। श्रीमती महादेवी वर्मा छायावाद और रहस्यवाद की प्रमुख कवयित्री हैं। श्रीमती महादेवी वर्मा मूलतः कवयित्री हैं, किन्तु उनका गद्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। उनके गद्य में भी काव्य जैसा आनन्द आता है। इस प्रकार हिन्दी साहित्य जगत में श्रीमती महादेवी वर्मा जी का उच्चतम स्थान है।

सरस कल्पना, भावुकता एवं वेदनापुर्ण भावों के अभिव्यक्त करने की दृष्टि से इन्हें अपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। वेदना को हृदयस्पर्शी रूप में व्यक्त करने के कारण ही इन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है।

छायावादी काव्य के पल्लवन एवं विकास में इनका अविस्मरणीय योगदान रहा। वस्तुतः महादेवी वर्मा जी हिन्दी काव्य साहित्य की विलक्षण साधिका थीं। एक कवयित्री के रूप में श्री मती महादेवी वर्मा जी विलक्षण प्रतिभा की स्वामिनी थीं।

तथा इनके काव्य की विरह-वेदना अपनी भावात्मक कहनता के लिए अद्वितीय समझी जाती है। साहित्य और संगीत का अपूर्व संयोग करके गीत विधा को विकास की चरम सीमा पर पहुँचा देने का श्रेय श्रीमती महादेवी वर्मा जी को ही है।

श्री मती महादेवी वर्मा जी का नाम हिन्दी साहित्य जगत में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। वेदना के स्वरों की अमर गायिका श्री मती महादेवी वर्मा जी ने हिन्दी-साहित्य की जो अनवरत् सेवा की है उसका समर्थन दूसरे लेखक भी करते हैं।

“कवितामय हृदय लेकर और कल्पना के सप्तरंगी आकाश में बैठकर जिस काव्य का सृजन किया, वह हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है।”

“हिन्दी गीतों की मधुरतम कवयित्री के रूप में महीयसी श्रीमती महादेवी वर्मा जी अद्वितीय गौरव से मण्डित हैं।”

FAQs – श्रीमती महादेवी वर्मा

Q 1. महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियां कौन कौन सी है?

Ans. काव्य संग्रहः- ‘निहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सान्ध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘सप्तपर्णी’ व ‘हिमालय’ आदि इनके काव्य संग्रह हैं।
गद्य साहित्यः- ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘क्षणदा’, ‘मेरा परिवार’ और ‘परिक्रमा’ आदि इनकी गद्य-साहित्य रचनाएँ हैं।
निबंधः- ‘श्रृखला की कड़ियाँ’, ‘विवेचनात्मक गद्य’, ‘साहित्यकार की आस्था’ तथा ‘अन्य निबंध’ आदि है।
संपादनः- चाँद पत्रिका।

Q 2. महादेवी वर्मा का जन्म कहां हुआ था?

Ans. श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म 24 मार्च सन् 1907 ई० में उत्तर प्रदेश के प्रशिद्ध नगर फर्रुख़ाबाद हुआ था |

Q 3. महादेवी वर्मा की भाषा शैली?

Ans. भाषा – खड़ीबोली, शैली – इनकी रचनाओं की मुख्य शैली छायावादी मुक्तत शैली है।

Q 4. Mahadevi Verma age?

Ans. Mahadevi Verma age 80 years (24 मार्च सन् 1907 ई०-11 सितम्बर सन् 1987 ई०) |

Q 5. महादेवी वर्मा के पति का क्या नाम है?

Ans. महादेवी वर्मा के पति का नाम डॉ० स्वरूप नारायण वर्मा है|

Q 6. महादेवी का जन्म कब हुआ था?

Ans. महादेवी वर्मा का जन्म 24 मार्च सन् 1907 ई० में हुआ था |

Q 7. महादेवी वर्मा की मृत्यु कहाँ हुई?

Ans : प्रयागराज में

Q 8. महादेवी वर्मा का निधन कब हुआ?

Ans: 11 सितम्बर सन् 1987 ई०
  • रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय
  • सम्राट अशोक का जीवन परिचय

इस पोस्ट में हमने जाना श्रीमती महादेवी वर्मा के जीवन के बारे में , प्रस्तावना,जन्म-स्थान,माता-पिता,भाई-बहन, प्रिय सखी, विवाह, शिक्षा,श्रीमती महादेवी वर्मा जी का नाम ‘महादेवी’ क्यों पड़ा ?,मृत्यु-स्थान, श्रीमती महादेवी वर्मा जी द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य, पुरस्कार एवं सम्मान, भाषा, शैली, प्रमुख कृतिया तथा साहित्य में स्थान इत्यादि के बारे में | उम्मीद करता हु आपको ये जानकारी पसंद आई होगी |

श्रीमती महादेवी वर्मा का जीवन परिचय अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो आप कृपया करके इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप नीचे दिए गए Comment Box में जरुर लिखे ।

Filed Under: Biography Tagged With: जीवन परिचय, महादेवी वर्मा

About Atul Maurya

मैं लोगो को कुछ सिखा सकू | इसलिए मैं ब्लॉग पर हिंदी में पोस्ट शेयर करता हूँ | एक लाइन में मेरा कहना है कि "आप हमारे ब्लॉग पे आते रहे ताकि जो मैं जानता हूं वह आप को बता सकूं और जो मैं सीखू वह आपको सिखा सकू" || *** धन्यवाद***

Reader Interactions

Comments

  1. Vaidehi Rajak says

    April 2, 2021 at 3:19 pm

    TX a lot for this

    Reply
    • Atul Maurya says

      April 6, 2021 at 1:11 am

      Thank you .. keep connected…

      Reply
  2. Nisha says

    May 21, 2021 at 12:52 am

    Thnx a lot for for this

    Reply
    • Atul Maurya says

      May 21, 2021 at 10:05 pm

      Thank you .. keep connected…

      Reply
  3. mishras lover says

    June 21, 2021 at 1:58 am

    thank you for this content.
    find more

    Reply
    • Atul Maurya says

      June 22, 2021 at 12:32 pm

      Thank you .. keep connected…

      Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

हमारे एप्प को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Copyright © 2022 - All Rights Reserved.·

  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Sitemap
  • Disclaimer