इस आर्टिकल में हम भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार- Bhraantimaan Ya Bhram Alankar in Hindi पढेंगे, तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार – परिभाषा एवं उदाहरण —
भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार की परिभाषा—
जहाँ समानता के कारण एक वस्तु में किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो, वहाँ भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार होता है।
—:अथवा:—
यहाँ समानता के कारण भ्रमवश उपमेय (जिसके लिए उपमा दी जाती है) में उपमान (उपमेय की जिसके साथ तुलना की जाती है) का निश्चयात्मक ज्ञान हो, वहाँ भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार होता है।
भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार के लक्षण या पहचान चिन्ह—
सादृश्य या समानता के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लेना ही भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार के लक्षण अथवा पहचान चिन्ह है। ये है, या वो है भी इसके लक्षण है।
भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार के उदाहरण—
पेशी समझ माणिक्य को,
वह विहग देखो ले चला।
स्पष्टीकरण— यहाँ अत्यन्त समानता के कारण किसी लाल रंग की मणि को मांस पेशी समझने की भूल के कारण पक्षी उठाकर ले गया है। भूल के अनुसार कार्य करने से यहाँ भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार है।
—:अथवा:—
पांय महावर देन को, नाइन बैठी आय।
फिरि-फिरि जानि महावरी, एड़ी मीड़ति जाय।।
नाक का मोती अधर की क्रान्ति से,
बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देख उसको ही हुआ शुक मौन,
सोचता है अन्य शुक यह कौन है?
स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में लाल एड़ी (उपमेय) और महावर (उपमान) में लाल रंग की समानता के कारण नाइन को भ्रम उत्पन्न हो गया है तथा द्वितीय उदाहरण में तोता उर्मिला (लक्ष्मण की पत्नी) की नाक के मोती को भ्रमवश अनार का दाना और उसकी नाक को दूसरा तोता समझ कर भ्रमित हो जाता है; अत: यहाँ भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार है।
—:अथवा:—
चिंटू-पिंटू की मम्मी ने सिर बाँध रखा दो चोटी।
दोनों समझे सांप चढ़े है, छोड़-छाड़ भागे रोटी।
स्पष्टीकरण— उपर्युक्त उदाहरण में में चिंटू- पिंटू ने अपनी माँ की चोटी को भ्रमवश साँप समझ कर डर के माने रोटी को छोड़कर दूर भाग खड़े हुए। अत: यहाँ भ्रान्तिमान या भ्रम अलंकार है।
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