दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको भयानक रस की परिभाषा उदाहरण सहित के बारे में पूरी जानकारी बता रहे है | तो चलिए जानते हैं – Bhayanak Ras in Hindi.
भयानक रस की परिभाषा
किसी भयानक वस्तु या जीव को देखकर भावी दुःख की अशंका से हृदय में जो भाव उत्पन्न होता है उसे भय कहते है | इस भय के जाग्रत और उद्दीप्त होने पर जिस रस की उत्पत्ति होती है उसे भयानक रस कहते है |
भयानक रस के उपकरण
- भयानक रस स्थायी भाव — भय |
- भयानक रस आलम्बन विभाव — बाघ, चोर,सर्प, शून्य स्थान, भयंकर वस्तु का दर्शन आदि |
- भयानक रस उद्दीपन विभाव — भयानक वस्तु का स्वर, भयंकर स्वर आदि का डरावनापन एवं भयंकर चेष्टाएँ |
- भयानक रस अनुभाव — कम्पन, पसीना छूटना, मुँह सूखना, चिन्ता होना, रोमांच, मूर्च्छा, पलायन, रुदन आदि |
- भयानक रस संचारी भाव — दैन्य, सम्भ्रम, चिन्ता, सम्मोह, त्रास आदि |
भयानक रस का उदहारण — Bhayanak Ras Ki Paribhasha
उदाहरण -1
उधर गरजती सिन्धु लहरियाँ कुटिल काल के जालों-सी |
चली आ रही फेन उगलती फेन फैलाये व्यालो – सी ||
उदाहरण -2
लंका की सेना तो, कपि के गर्जन से रव काँप गई |
हनुमान के भीषण दर्शन से विनाश ही भाँप गई ||
उदाहरण -3
एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय |
बिकल बढोही बीच ही, परयो मूच्छा खाय ||
- अलंकार – अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण, स्पष्टीकरण अत्यन्त आसान एवं सरल शब्दों में
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